Surat As-Sajda (The Prostration) - السجدة
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32:18 أَفَمَن كَانَ مُؤْمِنًا كَمَن كَانَ فَاسِقًا لَّا يَسْتَوُۥنَ ﴿١٨﴾ तो क्या जो शख़्श ईमानदार है उस शख़्श के बराबर हो जाएगा जो बदकार है (हरगिज़ नहीं) ये दोनों बराबर नही हो सकते | ||
32:18 أَفَمَن كَانَ مُؤْمِنًا كَمَن كَانَ فَاسِقًا لَّا يَسْتَوُۥنَ ﴿١٨﴾ तो क्या जो शख़्श ईमानदार है उस शख़्श के बराबर हो जाएगा जो बदकार है (हरगिज़ नहीं) ये दोनों बराबर नही हो सकते | ||