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سورة الماعون
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![]() | क्या तुमने उस शख़्श को भी देखा है जो रोज़ जज़ा को झुठलाता है ये तो वही (कम्बख्त) है जो यतीम को धक्के देता है और मोहताजों को खिलाने के लिए (लोगों को) आमादा नहीं करता तो उन नमाज़ियों की तबाही है जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल रहते हैं जो दिखाने के वास्ते करते हैं और रोज़मर्रा की मालूली चीज़ें भी आरियत नहीं देते | ![]() |
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