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سورة يونس
फिर जब वह लोग (रस्सियों को साँप बनाकर) डाल चुके तू मूसा ने कहा जो कुछ तुम (बनाकर) लाए हो (वह तो सब) जादू है-इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा उसे फौरन मिटियामेट कर देगा (क्योंकर) ख़ुदा तो हरगिज़ मफ़सिदों (फसाद करने वालों) का काम दुरुस्त नहीं होने देता
और ख़ुदा सच्ची बात को अपने कलाम की बरकत से साबित कर दिखाता है अगरचे गुनाहगारों को ना गॅवार हो
अलग़रज़ मूसा पर उनकी क़ौम की नस्ल के चन्द आदमियों के सिवा फिरऔन और उसके सरदारों के इस ख़ौफ से कि उन पर कोई मुसीबत डाल दे कोई ईमान न लाया और इसमें शक़ नहीं कि फिरऔनरुए ज़मीन में बहुत बढ़ा चढ़ा था और इसमें शक़ नहीं कि वह यक़ीनन ज्यादती करने वालों में से था
और मूसा ने कहा ऐ मेरी क़ौम अगर तुम (सच्चे दिल से) ख़ुदा पर ईमान ला चुके तो अगर तुम फरमाबरदार हो तो बस उसी पर भरोसा करो
उस पर उन लोगों ने अर्ज़ की हमने तो ख़ुदा ही पर भरोसा कर लिया है और दुआ की कि ऐ हमारे पालने वाले तू हमें ज़ालिम लोगों का (ज़रिया) इम्तिहान न बना
और अपनी रहमत से हमें इन काफ़िर लोगों (के नीचे) से नजात दे
और हमने मूसा और उनके भाई (हारुन) के पास 'वही' भेजी कि मिस्र में अपनी क़ौम के (रहने सहने के) लिए घर बना डालो और अपने अपने घरों ही को मस्जिदें क़रार दे लो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ों और मोमिनीन को (नजात का) खुशख़बरी दे दो
और मूसा ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले तूने फिरऔन और उसके सरदारों को दुनिया की ज़िन्दगी में (बड़ी) आराइश और दौलत दे रखी है (क्या तूने ये सामान इस लिए अता किया है) ताकि ये लोग तेरे रास्तें से लोगों को बहकाएं परवरदिगार तू उनके माल (दौलत) को ग़ारत (बरबाद) कर दे और उनके दिलों पर सख्ती कर (क्योंकि) जब तक ये लोग तकलीफ देह अज़ाब न देख लेगें ईमान न लाएगें