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سورة الحجر
(ऐ रसूल) उन कुफ्फारों पर इस तरह अज़ाब नाज़िल करेगें जिस तरह हमने उन लोगों पर नाज़िल किया
जिन्होंने क़ुरान को बॉट कर टुकडे टुकड़े कर डाला
(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम
कि हम उनसे जो कुछ ये (दुनिया में) किया करते थे (बहुत सख्ती से) ज़रुर बाज़ पुर्स (पुछताछ) करेंगे
पस जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है उसे वाजेए करके सुना दो
और मुशरेकीन की तरफ से मुँह फेर लो
जो लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते है
और ख़ुदा के साथ दूसरे परवरदिगार को (शरीक) ठहराते हैं हम तुम्हारी तरफ से उनके लिए काफी हैं तो अनक़रीब ही उन्हें मालूम हो जाएगा