Quran Home

BackThe Rock - Al-Hijr

>


سورة الحجر
और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे
और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे
आख़िर उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला
फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं
और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो
इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा पैदा करने वाला है
(बड़ा दाना व बीना है) और हमने तुमको सबए मसानी (सूरे हम्द) और क़ुरान अज़ीम अता किया है
और हमने जो उन कुफ्फारों में से कुछ लोगों को (दुनिया की) माल व दौलत से निहाल कर दिया है तुम उसकी तरफ हरगिज़ नज़र भी न उठाना और न उनकी (बेदीनी) पर कुछ अफसोस करना और ईमानदारों से (अगरचे ग़रीब हो) झुककर मिला करो और कहा दो कि मै तो (अज़ाबे ख़ुदा से) सरीही तौर से डराने वाला हूँ