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BackThe Night Journey - Al-Israa

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سورة الإسراء
इसी तरह तू भी इन पर रहम फरमा तुम्हारे दिल की बात तुम्हारा परवरदिगार ख़ूब जानता है अगर तुम (वाक़ई) नेक होगे और भूले से उनकी ख़ता की है तो वह तुमको बख्श देगा क्योंकि वह तो तौबा करने वालों का बड़ा बख़शने वाला है
और क़राबतदारों और मोहताज और परदेसी को उनका हक़ दे दो और ख़बरदार फुज़ूल ख़र्ची मत किया करो
क्योंकि फुज़ूलख़र्ची करने वाले यक़ीनन शैतानों के भाई है और शैतान अपने परवरदिगार का बड़ा नाशुक्री करने वाला है
और तुमको अपने परवरदिगार के फज़ल व करम के इन्तज़ार में जिसकी तुम को उम्मीद हो (मजबूरन) उन (ग़रीबों) से मुँह मोड़ना पड़े तो नरमी से उनको समझा दो
और अपने हाथ को न तो गर्दन से बँधा हुआ (बहुत तंग) कर लो (कि किसी को कुछ दो ही नहीं) और न बिल्कुल खोल दो कि सब कुछ दे डालो और आख़िर तुम को मलामत ज़दा हसरत से बैठना पड़े
इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार जिसके लिए चाहता है रोज़ी को फराख़ (बढ़ा) देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग रखता है इसमें शक़ नहीं कि वह अपने बन्दों से बहुत बाख़बर और देखभाल रखने वाला है
और (लोगों) मुफलिसी (ग़रीबी) के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो (क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का क़त्ल करना बहुत सख्त गुनाह है
और (देखो) ज़िना के पास भी न फटकना क्योंकि बेशक वह बड़ी बेहयाई का काम है और बहुत बुरा चलन है