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BackThe Pilgrimage - Al-Hajj

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سورة الحج
ये वह लोग हैं कि अगर हम इन्हें रूए ज़मीन पर क़ाबू दे दे तो भी यह लोग पाबन्दी से नमाजे अदा करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे-अच्छे काम का हुक्म करेंगे और बुरी बातों से (लोगों को) रोकेंगे और (यूँ तो) सब कामों का अन्जाम खुदा ही के एख्तेयार में है
और (ऐ रसूल) अगर ये (कुफ्फ़ार) तुमको झुठलाते हैं तो कोइ ताज्जुब की बात नहीं उनसे पहले नूह की क़ौम और (क़ौमे आद और समूद)
और इबराहीम की क़ौम और लूत की क़ौम
और मदियन के रहने वाले (अपने-अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुके हैं और मूसा (भी) झुठलाए जा चुके हैं तो मैंने काफिरों को चन्द ढील दे दी फिर (आख़िर) उन्हें ले डाला तो तुमने देखा मेरा अज़ाब कैसा था
ग़रज़ कितनी बस्तियाँ हैं कि हम ने उन्हें बरबाद कर दिया और वह सरकश थीं पस वह अपनी छतों पर ढही पड़ी हैं और कितने बेकार (उजडे क़ुएँ और कितने) मज़बूत बड़े-बड़े ऊँचे महल (वीरान हो गए)
क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं ताकि उनके लिए ऐसे दिल होते हैं जैसे हक़ बातों को समझते या उनके ऐसे कान होते जिनके ज़रिए से (सच्ची बातों को) सुनते क्योंकि ऑंखें अंधी नहीं हुआ करती बल्कि दिल जो सीने में है वही अन्धे हो जाया करते हैं
और (ऐ रसूल) तुम से ये लोग अज़ाब के जल्द आने की तमन्ना रखते हैं और खुदा तो हरगिज़ अपने वायदे के ख़िलाफ नहीं करेगा और बेशक (क़यामत का) एक दिन तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारी गिनती के हिसाब से एक हज़ार बरस के बराबर है
और कितनी बस्तियाँ हैं कि मैंने उन्हें (चन्द) मोहलत दी हालाँकि वह सरकश थी फिर (आख़िर) मैंने उन्हें ले डाला और (सबको) मेरी तरफ लौटना है