The Believers - Al-Muminoon
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سورة المؤمنون
और तुम तो यक़ीनन उनको सीधी राह की तरफ बुलाते हो और इसमें शक नहीं कि जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते वह सीधी राह से हटे हुए हैं وَلَوْ رَحِمْنَٰهُمْ وَكَشَفْنَا مَا بِهِم مِّن ضُرٍّ لَّلَجُّوا۟ فِى طُغْيَٰنِهِمْ يَعْمَهُونَ ﴿٧٥﴾ और अगर हम उन पर तरस खायें और जो तकलीफें उनको (कुफ्र की वजह से) पहुँच रही हैं उन को दफा कर दें तो यक़ीनन ये लोग (और भी) अपनी सरकशी पर अड़ जाए और भटकते फिरें और हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया तो भी वे लोग न तो अपने परवरदिगार के सामने झुके और गिड़गिड़ाएँ यहाँ तक कि जब हमने उनके सामने एक सख्त अज़ाब का दरवाज़ा खोल दिया तो उस वक्त फ़ौरन ये लोग बेआस होकर बैठ रहे وَهُوَ ٱلَّذِىٓ أَنشَأَ لَكُمُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصَٰرَ وَٱلْأَفْـِٔدَةَ قَلِيلًا مَّا تَشْكُرُونَ ﴿٧٨﴾ हालाँकि वही वह (मेहरबान खुदा) है जिसने तुम्हारे लिए कान और ऑंखें और दिल पैदा किये (मगर) तुम लोग हो ही बहुत कम शुक्र करने वाले और वह वही (ख़ुदा) है जिसने तुम को रुए ज़मीन में (हर तरफ) फैला दिया और फिर (एक दिन) सब के सब उसी के सामने इकट्ठे किये जाओगे और वही वह (ख़ुदा) है जो जिलाता और मारता है कि और रात दिन का फेर बदल भी उसी के एख्तियार में है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते | ||