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سورة الشعراء
और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा
और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा
परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर
और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख
और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना
और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है
और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना
जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले