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سورة الشعراء
ख़ुदा की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे
कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (ख़ुदा) के बराबर समझते रहे
और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया
तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं
और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं
तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते
इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं
और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है