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سورة الشعراء
(यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया
कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ
तुम खुदा से डरो और मेरी इताअत करो
और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं
मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है
तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है
तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं
नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़)