The Poets - Ash-Shu'araa
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سورة الشعراء
और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो तो तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो और उस शख्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खूब जानते हो अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चश्मों से मदद की وَجَنَّٰتٍ وَعُيُونٍ ﴿١٣٤﴾ मै तो यक़ीनन तुम पर एक बड़े (सख्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है | ||