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سورة الشعراء
ये (डरावा) तो बस अगले लोगों की आदत है
हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा
ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे
और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है
(इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया
जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ
तो खुदा से डरो और मेरी इताअत करो