The Poets - Ash-Shu'araa
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سورة الشعراء
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) क्या जो चीजें यहाँ (दुनिया में) मौजूद है فِى جَنَّٰتٍ وَعُيُونٍ ﴿١٤٧﴾ बाग़ और चश्में और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो और ज्यादती करने वालों का कहा न मानों जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते | ||