
The Poets - Ash-Shu'araa
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سورة الشعراء
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![]() | जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया | ![]() |
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