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سورة الشعراء
जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाज़िल हुए है
ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह
लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ
और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है
क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं
और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते
और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे
इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी