
The Poets - Ash-Shu'araa
Home > >
سورة الشعراء
![]() | ![]() | ![]() |
![]() | और हम ज़ालिम नहीं है और इस क़ुरान को शयातीन लेकर नाज़िल नही हुए और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं (ऐ रसूल) तुम ख़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू झुकाओ (तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ साफ) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ | ![]() |
![]() | ![]() | ![]() |