Quran Home

BackThe Poets - Ash-Shu'araa

>


سورة الشعراء
ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे
कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी
(मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं
तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे
उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे
तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी
और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे