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سورة النمل
और न तुम अंधें को उनकी गुमराही से राह पर ला सकते हो तुम तो बस उन्हीं लोगों को (अपनी बात) सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर ईमान रखते हैं
फिर वही लोग तो मानने वाले भी हैं जब उन लोगों पर (क़यामत का) वायदा पूरा होगा तो हम उनके वास्ते ज़मीन से एक चलने वाला निकाल खड़ा करेंगे जो उनसे ये बाते करेंगा कि (फलॉ फला) लोग हमारी आयतो का यक़ीन नहीं रखते थे
और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (ज़िन्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे
यहाँ तक कि जब वह सब (ख़ुदा के सामने) आएँगें और ख़ुदा उनसे कहेगा क्या तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे
इन पर (अज़ाब का) वायदा पूरा हो गया फिर ये लोग कुछ बोल भी तो न सकेंगें
क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें ईमान लाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस शख्स को ख़ुदा चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में ज़िल्लत व आजिज़ी की हालत में हाज़िर होगें
और तुम पहाड़ों को देखकर उन्हें मज़बूर जमे हुए समझतें हो हालाकि ये (क़यामत के दिन) बादल की तरह उड़े उडे फ़िरेगें (ये भी) ख़ुदा की कारीगरी है कि जिसने हर चीज़ को ख़ूब मज़बूत बनाया है बेशक जो कुछ तुम लोग करते हो उससे वह ख़ूब वाक़िफ़ है