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BackThe Cow - Al-Baqara

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سورة البقرة
फिर जब तुम्हारे पास रौशन दलीले आ चुकी उसके बाद भी डगमगा गए तो अच्छी तरह समझ लो कि ख़ुदा (हर तरह) ग़ालिब और तदबीर वाला है
क्या वह लोग इसी के मुन्तज़िर हैं कि सफेद बादल के साय बानो की आड़ में अज़ाबे ख़ुदा और अज़ाब के फ़रिश्ते उन पर ही आ जाए और सब झगड़े चुक ही जाते हालॉकि आख़िर कुल उमुर ख़ुदा ही की तरफ रुजू किए जाएँगे
(ऐ रसूल) बनी इसराइल से पूछो कि हम ने उन को कैसी कैसी रौशन निशानियाँ दी और जब किसी शख्स के पास ख़ुदा की नेअमत (किताब) आ चुकी उस के बाद भी उस को बदल डाले तो बेशक़ ख़ुदा सख्त अज़ाब वाला है
जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उन के लिये दुनिया की ज़रा सी ज़िन्दगी ख़ूब अच्छी दिखायी गयी है और ईमानदारों से मसखरापन करते हैं हालॉकि क़यामत के दिन परहेज़गारों का दरजा उनसे (कहीं) बढ़ चढ़ के होगा और ख़ुदा जिस को चाहता है बे हिसाब रोज़ी अता फरमाता है
(पहले) सब लोग एक ही दीन रखते थे (फिर आपस में झगड़ने लगे तब) ख़ुदा ने नजात से ख़ुश ख़बरी देने वाले और अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बरों को भेजा और इन पैग़म्बरों के साथ बरहक़ किताब भी नाज़िल की ताकि जिन बातों में लोग झगड़ते थे किताबे ख़ुदा (उसका) फ़ैसला कर दे और फिर अफ़सोस तो ये है कि इस हुक्म से इख्तेलाफ किया भी तो उन्हीं लोगों ने जिन को किताब दी गयी थी और वह भी जब उन के पास ख़ुदा के साफ एहकाम आ चुके उसके बाद और वह भी आपस की शरारत से तब ख़ुदा ने अपनी मेहरबानी से (ख़ालिस) ईमानदारों को वह राहे हक़ दिखा दी जिस में उन लोगों ने इख्तेलाफ डाल रखा था और ख़ुदा जिस को चाहे राहे रास्त की हिदायत करता है
क्या तुम ये ख्याल करते हो कि बेहश्त में पहुँच ही जाओगे हालॉकि अभी तक तुम्हे अगले ज़माने वालों की सी हालत नहीं पेश आयी कि उन्हें तरह तरह की तक़लीफों (फाक़ा कशी मोहताजी) और बीमारी ने घेर लिया था और ज़लज़ले में इस क़दर झिंझोडे ग़ए कि आख़िर (आज़िज़ हो के) पैग़म्बर और ईमान वाले जो उन के साथ थे कहने लगे देखिए ख़ुदा की मदद कब (होती) है देखो (घबराओ नहीं) ख़ुदा की मदद यक़ीनन बहुत क़रीब है
(ऐ रसूल) तुमसे लोग पूछते हैं कि हम ख़ुदा की राह में क्या खर्च करें (तो तुम उन्हें) जवाब दो कि तुम अपनी नेक कमाई से जो कुछ खर्च करो तो (वह तुम्हारे माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों का हक़ है और तुम कोई नेक सा काम करो ख़ुदा उसको ज़रुर जानता है
(मुसलमानों) तुम पर जिहाद फर्ज क़िया गया अगरचे तुम पर शाक़ ज़रुर है और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ (जिहाद) को नापसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बेहतर हो और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ को पसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बुरी हो और ख़ुदा (तो) जानता ही है मगर तुम नही जानते हो