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سورة لقمان
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![]() | الٓمٓ ﴿١﴾ अलिफ़ लाम मीम ये सूरा हिकमत से भरी हुई किताब की आयतें है जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आख़िरत का भी यक़ीन रखते हैं यही लोग अपने परवरदिगार की हिदायत पर आमिल हैं और यही लोग (क़यामत में) अपनी दिली मुरादें पाएँगे और लोगों में बाज़ (नज़र बिन हारिस) ऐसा है जो बेहूदा क़िस्से (कहानियाँ) ख़रीदता है ताकि बग़ैर समझे बूझे (लोगों को) ख़ुदा की (सीधी) राह से भड़का दे और आयातें ख़ुदा से मसख़रापन करे ऐसे ही लोगों के लिए बड़ा रुसवा करने वाला अज़ाब है और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे काम किए उनके लिए नेअमत के (हरे भरे बेहश्ती) बाग़ हैं कि यो उनमें हमेशा रहेंगे | ![]() |
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