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سورة يس
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![]() | हमने एक दीवार उनके आगे बना दी है और एक दीवार उनके पीछे फिर ऊपर से उनको ढाँक दिया है तो वह कुछ देख नहीं सकते और (ऐ रसूल) उनके लिए बराबर है ख्वाह तुम उन्हें डराओ या न डराओ ये (कभी) ईमान लाने वाले नहीं हैं तुम तो बस उसी शख्स को डरा सकते हो जो नसीहत माने और बेदेखे भाले खुदा का ख़ौफ़ रखे तो तुम उसको (गुनाहों की) माफी और एक बाइज्ज़त (व आबरू) अज्र की खुशख़बरी दे दो हम ही यक़ीनन मुर्दों को ज़िन्दा करते हैं और जो कुछ लोग पहले कर चुके हैं (उनको) और उनकी (अच्छी या बुरी बाक़ी माँदा) निशानियों को लिखते जाते हैं और हमने हर चीज़ का एक सरीह व रौशन पेशवा में घेर दिया है और (ऐ रसूल) तुम (इनसे) मिसाल के तौर पर एक गाँव (अता किया) वालों का क़िस्सा बयान करो जब वहाँ (हमारे) पैग़म्बर आए इस तरह कि जब हमने उनके पास दो (पैग़म्बर योहना और यूनुस) भेजे तो उन लोगों ने दोनों को झुठलाया जब हमने एक तीसरे (पैग़म्बर शमऊन) से (उन दोनों को) मद्द दी तो इन तीनों ने कहा कि हम तुम्हारे पास खुदा के भेजे हुए (आए) हैं वह लोग कहने लगे कि तुम लोग भी तो बस हमारे ही जैसे आदमी हो और खुदा ने कुछ नाज़िल (वाज़िल) नहीं किया है तुम सब के सब बस बिल्कुल झूठे हो तब उन पैग़म्बरों ने कहा हमारा परवरदिगार जानता है कि हम यक़ीनन उसी के भेजे हुए (आए) हैं और (तुम मानो या न मानो) | ![]() |
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