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سورة يس
يسٓ ﴿١﴾
यासीन
इस पुरअज़ हिकमत कुरान की क़सम
(ऐ रसूल) तुम बिलाशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो
(और दीन के बिल्कुल) सीधे रास्ते पर (साबित क़दम) हो
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खुदा) का नाज़िल किया हुआ (है)
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खुदा से) डराओ जिनके बाप दादा (तुमसे पहले किसी पैग़म्बर से) डराए नहीं गए
तो वह दीन से बिल्कुल बेख़बर हैं उन में अक्सर तो (अज़ाब की) बातें यक़ीनन बिल्कुल ठीक पूरी उतरे ये लोग तो ईमान लाएँगे नहीं
हमने उनकी गर्दनों में (भारी-भारी लोहे के) तौक़ डाल दिए हैं और ठुड्डियों तक पहुँचे हुए हैं कि वह गर्दनें उठाए हुए हैं (सर झुका नहीं सकते)