
The Groups - Az-Zumar
Home > >
سورة الزمر
![]() | ![]() | ![]() |
![]() | (ज़रूर है) और याद रखो कि जो शख्स (रसूल) सच्ची बात लेकर आया वह और जिसने उसकी तसदीक़ की यही लोग तो परहेज़गार हैं ये लोग जो चाहेंगे उनके लिए परवर दिगार के पास (मौजूद) है, ये नेकी करने वालों की जज़ाए ख़ैर है ताकि ख़ुदा उन लोगों की बुराइयों को जो उन्होने की हैं दूर कर दे और उनके अच्छे कामों के एवज़ जो वह कर चुके थे उसका अज्र (सवाब) अता फरमाए क्या ख़ुदा अपने बन्दों (की मदद) के लिए काफ़ी नहीं है (ज़रूर है) और (ऐ रसूल) तुमको लोग ख़ुदा के सिवा (दूसरे माबूदों) से डराते हैं और ख़ुदा जिसे गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई राह पर लाने वाला नहीं है और जिस शख्स की हिदायत करे तो उसका कोई गुमराह करने वाला नहीं। क्या ख़दा ज़बरदस्त और बदला लेने वाला नहीं है (ज़रूर है) और (ऐ रसूल) अगर तुम इनसे पूछो कि सारे आसमान व ज़मीन को किसने पैदा किया तो ये लोग यक़ीनन कहेंगे कि ख़ुदा ने, तुम कह दो कि तो क्या तुमने ग़ौर किया है कि ख़ुदा को छोड़ कर जिन लोगों की तुम इबादत करते हो अगर ख़ुदा मुझे कोई तक़लीफ पहुँचाना चाहे तो क्या वह लोग उसके नुक़सान को (मुझसे) रोक सकते हैं या अगर ख़ुदा मुझ पर मेहरबानी करना चाहे तो क्या वह लोग उसकी मेहरबानी रोक सकते हैं (ऐ रसूल) तुम कहो कि ख़ुदा मेरे लिए काफ़ी है उसी पर भरोसा करने वाले भरोसा करते हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरी क़ौम तुम अपनी जगह (जो चाहो) अमल किए जाओ मै भी (अपनी जगह) कुछ कर रहा हूँ, फिर अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि किस पर वह आफत आती है जो उसको (दुनिया में) रूसवा कर देगी और (आख़िर में) उस पर दायमी अज़ाब भी नाज़िल होगा | ![]() |
![]() | ![]() | ![]() |