Quran Home

BackCrouching - Al-Jaathiya

>


سورة الجاثية
حمٓ ﴿١﴾
हा मीम
ये किताब (क़ुरान) ख़ुदा की तरफ से नाज़िल हुईहै जो ग़ालिब और दाना है
बेशक आसमान और ज़मीन में ईमान वालों के लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
और तुम्हारी पैदाइश में (भी) और जिन जानवरों को वह (ज़मीन पर) फैलाता रहता है (उनमें भी) यक़ीन करने वालों के वास्ते बहुत सी निशानियाँ हैं
और रात दिन के आने जाने में और ख़ुदा ने आसमान से जो (ज़रिया) रिज़क (पानी) नाज़िल फरमाया फिर उससे ज़मीन को उसके मर जाने के बाद ज़िन्दा किया (उसमें) और हवाओं फेर बदल में अक्लमन्द लोगों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं
ये ख़ुदा की आयतें हैं जिनको हम ठीक (ठीक) तुम्हारे सामने पढ़ते हैं तो ख़ुदा और उसकी आयतों के बाद कौन सी बात होगी
जिस पर ये लोग ईमान लाएंगे हर झूठे गुनाहगार पर अफसोस है
कि ख़ुदा की आयतें उसके सामने पढ़ी जाती हैं और वह सुनता भी है फिर ग़ुरूर से (कुफ़्र पर) अड़ा रहता है गोया उसने उन आयतों को सुना ही नहीं तो (ऐ रसूल) तुम उसे दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो