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BackThe Women - An-Nisaa

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سورة النساء
(ऐ रसूल) हमने तुमपर बरहक़ किताब इसलिए नाज़िल की है कि ख़ुदा ने तुम्हारी हिदायत की है उसी तरह लोगों के दरमियान फ़ैसला करो और ख्यानत करने वालों के तरफ़दार न बनो
और (अपनी उम्मत के लिये) ख़ुदा से मग़फ़िरत की दुआ मॉगों बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
और (ऐ रसूल) तुम (उन बदमाशों) की तरफ़ होकर (लोगों से) न लड़ो जो अपने ही (लोगों) से दग़ाबाज़ी करते हैं बेशक ख़ुदा ऐसे शख्स को दोस्त नहीं रखता जो दग़ाबाज़ गुनाहगार हो
लोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है
(मुसलमानों) ख़बरदार हो जाओ भला दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में तो तुम उनकी तरफ़ होकर लड़ने खडे हो गए (मगर ये तो बताओ) फिर क़यामत के दिन उनका तरफ़दार बनकर ख़ुदा से कौन लड़ेगा या कौन उनका वकील होगा
और जो शख्स कोई बुरा काम करे या (किसी तरह) अपने नफ्स पर ज़ुल्म करे उसके बाद ख़ुदा से अपनी मग़फ़िरत की दुआ मॉगे तो ख़ुदा को बड़ा बख्शने वाला मेहरबान पाएगा
और जो शख्स कोई गुनाह करता है तो उससे कुछ अपना ही नुक़सान करता है और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ (और) बड़ी तदबीर वाला है
और जो शख्स कोई ख़ता या गुनाह करे फिर उसे किसी बेक़सूर के सर थोपे तो उसने एक बड़े (इफ़तेरा) और सरीही गुनाह को अपने ऊपर लाद लिया