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BackThe Women - An-Nisaa

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سورة النساء
और उन लोगों को डरना (और ख्याल करना चाहिये) कि अगर वह लोग ख़ुद अपने बाद (नन्हे नन्हे) नातवॉ बच्चे छोड़ जाते तो उन पर (किस क़दर) तरस आता पस उनको (ग़रीब बच्चों पर सख्ती करने में) ख़ुदा से डरना चाहिये और उनसे सीधी तरह बात करना चाहिए
जो यतीमों के माल नाहक़ चट कर जाया करते हैं वह अपने पेट में बस अंगारे भरते हैं और अनक़रीब जहन्नुम वासिल होंगे
(मुसलमानों) ख़ुदा तुम्हारी औलाद के हक़ में तुमसे वसीयत करता है कि लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के बराबर है और अगर (मय्यत की) औलाद में सिर्फ लड़कियॉ ही हों (दो) या (दो) से ज्यादा तो उनका (मक़र्रर हिस्सा) कुल तर्के का दो तिहाई है और अगर एक लड़की हो तो उसका आधा है और मय्यत के बाप मॉ हर एक का अगर मय्यत की कोई औलाद मौजूद न हो तो माल मुस्तरद का में से मुअय्यन (ख़ास चीज़ों में) छटा हिस्सा है और अगर मय्यत के कोई औलाद न हो और उसके सिर्फ मॉ बाप ही वारिस हों तो मॉ का मुअय्यन (ख़ास चीज़ों में) एक तिहाई हिस्सा तय है और बाक़ी बाप का लेकिन अगर मय्यत के (हक़ीक़ी और सौतेले) भाई भी मौजूद हों तो (अगरचे उन्हें कुछ न मिले) उस वक्त मॉ का हिस्सा छठा ही होगा (और वह भी) मय्यत नें जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तालीम और (अदाए) क़र्ज़ के बाद तुम्हारे बाप हों या बेटे तुम तो यह नहीं जानते हों कि उसमें कौन तुम्हारी नाफ़रमानी में ज्यादा क़रीब है (फिर तुम क्या दख़ल दे सकते हो) हिस्सा तो सिर्फ ख़ुदा की तरफ़ से मुअय्यन होता है क्योंकि ख़ुदा तो ज़रूर हर चीज़ को जानता और तदबीर वाला है
और जो कुछ तुम्हारी बीवियां छोड़ कर (मर) जाए पस अगर उनके कोई औलाद न हो तो तुम्हारा आधा है और अगर उनके कोई औलाद हो तो जो कुछ वह तरका छोड़े उसमें से बाज़ चीज़ों में चौथाई तुम्हारा है (और वह भी) औरत ने जिसकी वसीयत की हो और (अदाए) क़र्ज़ के बाद अगर तुम्हारे कोई औलाद न हो तो तुम्हारे तरके में से तुम्हारी बीवियों का बाज़ चीज़ों में चौथाई है और अगर तुम्हारी कोई औलाद हो तो तुम्हारे तर्के में से उनका ख़ास चीज़ों में आठवॉ हिस्सा है (और वह भी) तुमने जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तामील और (अदाए) क़र्ज़ के बाद और अगर कोई मर्द या औरत अपनी मादरजिलों (ख्याली) भाई या बहन को वारिस छोड़े तो उनमें से हर एक का ख़ास चीजों में छठा हिस्सा है और अगर उससे ज्यादा हो तो सबके सब एक ख़ास तिहाई में शरीक़ रहेंगे और (ये सब) मय्यत ने जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तामील और (अदाए) क़र्ज क़े बाद मगर हॉ वह वसीयत (वारिसों को ख्वाह मख्वाह) नुक्सान पहुंचाने वाली न हो (तब) ये वसीयत ख़ुदा की तरफ़ से है और ख़ुदा तो हर चीज़ का जानने वाला और बुर्दबार है
यह ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) हदें हैं और ख़ुदा और रसूल की इताअत करे उसको ख़ुदा आख़ेरत में ऐसे (हर भरे) बाग़ों में पहुंचा देगा जिसके नीचे नहरें जारी होंगी और वह उनमें हमेशा (चैन से) रहेंगे और यही तो बड़ी कामयाबी है
और जिस शख्स से ख़ुदा व रसूल की नाफ़रमानी की और उसकी हदों से गुज़र गया तो बस ख़ुदा उसको जहन्नुम में दाख़िल करेगा
और वह उसमें हमेशा अपना किया भुगतता रहेगा और उसके लिए बड़ी रूसवाई का अज़ाब है और तुम्हारी औरतों में से जो औरतें बदकारी करें तो उनकी बदकारी पर अपने लोगों में से चार गवाही लो और फिर अगर चारों गवाह उसकी तसदीक़ करें तो (उसकी सज़ा ये है कि) उनको घरों में बन्द रखो यहॉ तक कि मौत आ जाए या ख़ुदा उनकी कोई (दूसरी) राह निकाले
और तुम लोगों में से जिनसे बदकारी सरज़द हुई हो उनको मारो पीटो फिर अगर वह दोनों (अपनी हरकत से) तौबा करें और इस्लाह कर लें तो उनको छोड़ दो बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है