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سورة الطور
(कोहे) तूर की क़सम
और उसकी किताब (लौहे महफूज़) की
जो क़ुशादा औराक़ में लिखी हुई है
और बैतुल मामूर की (जो काबा के सामने फरिश्तों का क़िब्ला है)
और ऊँची छत (आसमान) की
और जोश व ख़रोश वाले समन्दर की
कि तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब बेशक वाकेए होकर रहेगा
(और) इसका कोई रोकने वाला नहीं