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سورة الرحمن
गुनाहगार लोग तो अपने चेहरों ही से पहचान लिए जाएँगे तो पेशानी के पटटे और पाँव पकड़े (जहन्नुम में डाल दिये जाएँगे)
आख़िर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
(फिर उनसे कहा जाएगा) यही वह जहन्नुम है जिसे गुनाहगार लोग झुठलाया करते थे
ये लोग दोज़ख़ और हद दरजा खौलते हुए पानी के दरमियान (बेक़रार दौड़ते) चक्कर लगाते फिरेंगे
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को न मानोगे
और जो शख्स अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता रहा उसके लिए दो दो बाग़ हैं
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे
दोनों बाग़ (दरख्तों की) टहनियों से हरे भरे (मेवों से लदे) हुए