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سورة الواقعة
हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया)
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो
तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ
और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है
कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है
जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है
इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं
सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाज़िल हुआ है