
The Pen - Al-Qalam
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سورة القلم
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![]() | जिस तरह हमने एक बाग़ वालों का इम्तेहान लिया था उसी तरह उनका इम्तेहान लिया जब उन्होने क़समें खा खाकर कहा कि सुबह होते हम उसका मेवा ज़रूर तोड़ डालेंगे وَلَا يَسْتَثْنُونَ ﴿١٨﴾ और इन्शाअल्लाह न कहा तो ये लोग पड़े सो ही रहे थे कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (रातों रात) एक बला चक्कर लगा गयी तो वह (सारा बाग़ जलकर) ऐसा हो गया जैसे बहुत काली रात फिर ये लोग नूर के तड़के लगे बाहम गुल मचाने कि अगर तुमको फल तोड़ना है तो अपने बाग़ में सवेरे से चलो ग़रज़ वह लोग चले और आपस में चुपके चुपके कहते जाते थे कि आज यहाँ तुम्हारे पास कोई फ़क़ीर न आने पाए | ![]() |
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