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سورة القلم
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![]() | नून क़लम की और उस चीज़ की जो लिखती हैं (उसकी) क़सम है कि तुम अपने परवरदिगार के फ़ज़ल (व करम) से दीवाने नहीं हो और तुम्हारे वास्ते यक़ीनन वह अज्र है जो कभी ख़त्म ही न होगा और बेशक तुम्हारे एख़लाक़ बड़े आला दर्जे के हैं तो अनक़रीब ही तुम भी देखोगे और ये कुफ्फ़ार भी देख लेंगे कि तुममें दीवाना कौन है बेशक तुम्हारा परवरदिगार इनसे ख़ूब वाक़िफ़ है जो उसकी राह से भटके हुए हैं और वही हिदायत याफ्ता लोगों को भी ख़ूब जानता है तो तुम झुठलाने वालों का कहना न मानना | ![]() |
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