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سورة القلم
(देखो) यूँ अज़ाब होता है और आख़ेरत का अज़ाब तो इससे कहीं बढ़ कर है अगर ये लोग समझते हों
बेशक परहेज़गार लोग अपने परवरदिगार के यहाँ ऐशो आराम के बाग़ों में होंगे
तो क्या हम फरमाबरदारों को नाफ़रमानो के बराबर कर देंगे
(हरगिज़ नहीं) तुम्हें क्या हो गया है तुम तुम कैसा हुक्म लगाते हो
या तुम्हारे पास कोई ईमानी किताब है जिसमें तुम पढ़ लेते हो
कि जो चीज़ पसन्द करोगे तुम को वहाँ ज़रूर मिलेगी
या तुमने हमसे क़समें ले रखी हैं जो रोज़े क़यामत तक चली जाएगी कि जो कुछ तुम हुक्म दोगे वही तुम्हारे लिए ज़रूर हाज़िर होगा
उनसे पूछो तो कि उनमें इसका कौन ज़िम्मेदार है