The Cattle - Al-An'aam
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سورة الأنعام
(पैग़म्बर) वह लोग थे जिनको हमने (आसमानी) किताब और हुकूमत और नुबूवत अता फरमाई पस अगर ये लोग उसे भी न माने तो (कुछ परवाह नहीं) हमने तो उस पर ऐसे लोगों को मुक़र्रर कर दिया हे जो (उनकी तरह) इन्कार करने वाले नहीं (ये अगले पैग़म्बर) वह लोग थे जिनकी ख़ुदा ने हिदायत की पस तुम भी उनकी हिदायत की पैरवी करो (ऐ रसूल उन से) कहो कि मै तुम से इस (रिसालत) की मज़दूरी कुछ नहीं चाहता सारे जहाँन के लिए सिर्फ नसीहत है और बस और उन लोगों (यहूद) ने ख़ुदा की जैसी क़दर करनी चाहिए न की इसलिए कि उन लोगों ने (बेहूदे पन से) ये कह दिया कि ख़ुदा ने किसी बशर (इनसान) पर कुछ नाज़िल नहीं किया (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि फिर वह किताब जिसे मूसा लेकर आए थे किसने नाज़िल की जो लोगों के लिए रौशनी और (अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत (थी जिसे तुम लोगों ने अलग-अलग करके काग़जी औराक़ (कागज़ के पन्ने) बना डाला और इसमें को कुछ हिस्सा (जो तुम्हारे मतलब का है वह) तो ज़ाहिर करते हो और बहुतेरे को (जो ख़िलाफ मदआ है) छिपाते हो हालॉकि उसी किताब के ज़रिए से तुम्हें वो बातें सिखायी गयी जिन्हें न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप दादा (ऐ रसूल वह तो जवाब देगें नहीं) तुम ही कह दो कि ख़ुदा ने (नाज़िल फरमाई) उसके बाद उन्हें छोड़ के (पडे झक मारा करें (और) अपनी तू तू मै मै में खेलते फिरें और (क़ुरान) भी वह किताब है जिसे हमने बाबरकत नाज़िल किया और उस किताब की तसदीक़ करती है जो उसके सामने (पहले से) मौजूद है और (इस वास्ते नाज़िल किया है) ताकि तुम उसके ज़रिए से अहले मक्का और उसके एतराफ़ के रहने वालों को (ख़ौफ ख़ुदा से) डराओ और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो उस पर (बे ताम्मुल) ईमान लाते है और वही अपनी अपनी नमाज़ में भी पाबन्दी करते हैं और उससे बढ़ कर ज़ालिम कौन होगा जो ख़ुदा पर झूठ (मूठ) इफ़तेरा करके कहे कि हमारे पास वही आयी है हालॉकि उसके पास वही वगैरह कुछ भी नही आयी या वह शख़्श दावा करे कि जैसा क़ुरान ख़ुदा ने नाज़िल किया है वैसा मै भी (अभी) अनक़रीब (जल्दी) नाज़िल किए देता हूँ और (ऐ रसूल) काश तुम देखते कि ये ज़ालिम मौत की सख्तियों में पड़ें हैं और फरिश्ते उनकी तरफ (जान निकाल लेने के वास्ते) हाथ लपका रहे हैं और कहते जाते हैं कि अपनी जानें निकालो आज ही तो तुम को रुसवाई के अज़ाब की सज़ा दी जाएगी क्योंकि तुम ख़ुदा पर नाहक़ (नाहक़) झूठ छोड़ा करते थे और उसकी आयतों को (सुनकर उन) से अकड़ा करते थे और आख़िर तुम हमारे पास इसी तरह तन्हा आए (ना) जिस तरह हमने तुम को पहली बार पैदा किया था और जो (माल व औलाद) हमने तुमको दिया था वह सब अपने पस्त पुश्त (पीछे) छोड़ आए और तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफारिश करने वालों को भी नहीं देखते जिन को तुम ख्याल करते थे कि वह तुम्हारी (परवरिश वगैरह) मै (हमारे) साझेदार है अब तो तुम्हारे बाहरी ताल्लुक़ात मनक़तआ (ख़त्म) हो गए और जो कुछ ख्याल करते थे वह सब तुम से ग़ायब हो गए ख़ुदा ही तो गुठली और दाने को चीर (करके दरख्त ऊगाता) है वही मुर्दे में से ज़िन्दे को निकालता है और वही ज़िन्दा से मुर्दे को निकालने वाला है (लोगों) वही तुम्हारा ख़ुदा है फिर तुम किधर बहके जा रहे हो उसी के लिए सुबह की पौ फटी और उसी ने आराम के लिए रात और हिसाब के लिए सूरज और चाँद बनाए ये ख़ुदाए ग़ालिब व दाना के मुक़र्रर किए हुए किरदा (उसूल) हैं | ||