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BackThe Enshrouded One - Al-Muzzammil

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سورة المزمل
ऐ (मेरे) चादर लपेटे रसूल
रात को (नमाज़ के वास्ते) खड़े रहो मगर (पूरी रात नहीं)
थोड़ी रात या आधी रात या इससे भी कुछ कम कर दो या उससे कुछ बढ़ा दो
और क़ुरान को बाक़ायदा ठहर ठहर कर पढ़ा करो
हम अनक़रीब तुम पर एक भारी हुक्म नाज़िल करेंगे इसमें शक़ नहीं कि रात को उठना
ख़ूब (नफ्स का) पामाल करना और बहुत ठिकाने से ज़िक्र का वक्त है
दिन को तो तुम्हारे बहुत बड़े बड़े अशग़ाल हैं
तो तुम अपने परवरदिगार के नाम का ज़िक्र करो और सबसे टूट कर उसी के हो रहो