Quran Home

BackThe Cloaked One - Al-Muddaththir

>


سورة المدثر
ये तो बस आदमी का कलाम है
(ख़ुदा का नहीं) मैं उसे अनक़रीब जहन्नुम में झोंक दूँगा
और तुम क्या जानों कि जहन्नुम क्या है
वह न बाक़ी रखेगी न छोड़ देगी
और बदन को जला कर सियाह कर देगी
उस पर उन्नीस (फ़रिश्ते मुअय्यन) हैं
और हमने जहन्नुम का निगेहबान तो बस फरिश्तों को बनाया है और उनका ये शुमार भी काफिरों की आज़माइश के लिए मुक़र्रर किया ताकि अहले किताब (फौरन) यक़ीन कर लें और मोमिनो का ईमान और ज्यादा हो और अहले किताब और मोमिनीन (किसी तरह) शक़ न करें और जिन लोगों के दिल में (निफ़ाक का) मर्ज़ है (वह) और काफिर लोग कह बैठे कि इस मसल (के बयान करने) से ख़ुदा का क्या मतलब है यूँ ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है हिदायत करता है और तुम्हारे परवरदिगार के लशकरों को उसके सिवा कोई नहीं जानता और ये तो आदमियों के लिए बस नसीहत है
सुन रखो (हमें) चाँद की क़सम