
The Resurrection - Al-Qiyaama
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سورة القيامة
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![]() | मैं रोजे क़यामत की क़सम खाता हूँ (और बुराई से) मलामत करने वाले जी की क़सम खाता हूँ (कि तुम सब दोबारा) ज़रूर ज़िन्दा किए जाओगे क्या इन्सान ये ख्याल करता है (कि हम उसकी हड्डियों को बोसीदा होने के बाद) जमा न करेंगे हाँ (ज़रूर करेंगें) हम इस पर क़ादिर हैं कि हम उसकी पोर पोर दुरूस्त करें मगर इन्सान तो ये जानता है कि अपने आगे भी (हमेशा) बुराई करता जाए पूछता है कि क़यामत का दिन कब होगा तो जब ऑंखे चकाचौन्ध में आ जाएँगी और चाँद गहन में लग जाएगा | ![]() |
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