Quran Home

BackThe Resurrection - Al-Qiyaama

>


سورة القيامة
अपने घर की तरफ इतराता हुआ चला
अफसोस है तुझ पर फिर अफसोस है फिर तुफ़ है
तुझ पर फिर तुफ़ है
क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा
क्या वह (इब्तेदन) मनी का एक क़तरा न था जो रहम में डाली जाती है
फिर लोथड़ा हुआ फिर ख़ुदा ने उसे बनाया
फिर उसे दुरूस्त किया फिर उसकी दो किस्में बनायीं (एक) मर्द और (एक) औरत
क्या इस पर क़ादिर नहीं कि (क़यामत में) मुर्दों को ज़िन्दा कर दे