Man - Al-Insaan
Home > >
سورة الانسان
बेशक इन्सान पर एक ऐसा वक्त अा चुका है कि वह कोई चीज़ क़ाबिले ज़िक्र न था إِنَّا خَلَقْنَا ٱلْإِنسَٰنَ مِن نُّطْفَةٍ أَمْشَاجٍ نَّبْتَلِيهِ فَجَعَلْنَٰهُ سَمِيعًۢا بَصِيرًا ﴿٢﴾ हमने इन्सान को मख़लूत नुत्फे से पैदा किया कि उसे आज़माये तो हमने उसे सुनता देखता बनाया और उसको रास्ता भी दिखा दिया (अब वह) ख्वाह शुक्र गुज़ार हो ख्वाह नाशुक्रा हमने काफ़िरों के ज़ंजीरे, तौक और दहकती हुई आग तैयार कर रखी है बेशक नेकोकार लोग शराब के वह सागर पियेंगे जिसमें काफूर की आमेज़िश होगी ये एक चश्मा है जिसमें से ख़ुदा के (ख़ास) बन्दे पियेंगे और जहाँ चाहेंगे बहा ले जाएँगे ये वह लोग हैं जो नज़रें पूरी करते हैं और उस दिन से जिनकी सख्ती हर तरह फैली होगी डरते हैं और उसकी मोहब्बत में मोहताज और यतीम और असीर को खाना खिलाते हैं | ||