The Emissaries - Al-Mursalaat
Home > >
سورة المرسلات
हवाओं की क़सम जो (पहले) धीमी चलती हैं फिर ज़ोर पकड़ के ऑंधी हो जाती हैं और (बादलों को) उभार कर फैला देती हैं फिर (उनको) फाड़ कर जुदा कर देती हैं फिर फरिश्तों की क़सम जो वही लाते हैं ताकि हुज्जत तमाम हो और डरा दिया जाए कि जिस बात का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर होकर रहेगा फिर जब तारों की चमक जाती रहेगी | ||