Quran Home

BackThe Overthrowing - At-Takwir

>


سورة التكوير
और रात की क़सम जब ख़त्म होने को आए
और सुबह की क़सम जब रौशन हो जाए
कि बेशक यें (क़ुरान) एक मुअज़िज़ फरिश्ता (जिबरील की ज़बान का पैग़ाम है
जो बड़े क़वी अर्श के मालिक की बारगाह में बुलन्द रुतबा है
वहाँ (सब फरिश्तों का) सरदार अमानतदार है
और (मक्के वालों) तुम्हारे साथी मोहम्मद दीवाने नहीं हैं
और बेशक उन्होनें जिबरील को (आसमान के) खुले (शरक़ी) किनारे पर देखा है
और वह ग़ैब की बातों के ज़ाहिर करने में बख़ील नहीं