Surat Yunus (Jonas) - يونس
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10:105 وَأَنْ أَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّينِ حَنِيفًا وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ ﴿١٠٥﴾ और (मुझे) ये भी (हुक्म है) कि (बातिल) से कतरा के अपना रुख़ दीन की तरफ कायम रख और मुशरेकीन से हरगिज़ न होना | ||