Surat Al-Aadiyaat (The Chargers) - العاديات
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100:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ وَٱلْعَٰدِيَٰتِ ضَبْحًا ﴿١﴾ فَٱلْمُورِيَٰتِ قَدْحًا﴿٢﴾ فَٱلْمُغِيرَٰتِ صُبْحًا﴿٣﴾ فَأَثَرْنَ بِهِۦ نَقْعًا﴿٤﴾ فَوَسَطْنَ بِهِۦ جَمْعًا﴿٥﴾ إِنَّ ٱلْإِنسَٰنَ لِرَبِّهِۦ لَكَنُودٌ﴿٦﴾ وَإِنَّهُۥ عَلَىٰ ذَٰلِكَ لَشَهِيدٌ﴿٧﴾ (ग़ाज़ियों के) सरपट दौड़ने वाले घोड़ो की क़सम जो नथनों से फ़रराटे लेते हैं फिर पत्थर पर टाप मारकर चिंगारियाँ निकालते हैं फिर सुबह को छापा मारते हैं (तो दौड़ धूप से) बुलन्द कर देते हैं फिर उस वक्त (दुश्मन के) दिल में घुस जाते हैं (ग़रज़ क़सम है) कि बेशक इन्सान अपने परवरदिगार का नाशुक्रा है और यक़ीनी ख़ुदा भी उससे वाक़िफ़ है | ||