Menu

BackSurat Hud (Hud) - هود

>
>


11:50

وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًا قَالَ يَٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَٰهٍ غَيْرُهُۥٓ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا مُفْتَرُونَ ﴿٥٠﴾ يَٰقَوْمِ لَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَى ٱلَّذِى فَطَرَنِىٓ أَفَلَا تَعْقِلُونَ﴿٥١﴾ وَيَٰقَوْمِ ٱسْتَغْفِرُوا۟ رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوبُوٓا۟ إِلَيْهِ يُرْسِلِ ٱلسَّمَآءَ عَلَيْكُم مِّدْرَارًا وَيَزِدْكُمْ قُوَّةً إِلَىٰ قُوَّتِكُمْ وَلَا تَتَوَلَّوْا۟ مُجْرِمِينَ﴿٥٢﴾ قَالُوا۟ يَٰهُودُ مَا جِئْتَنَا بِبَيِّنَةٍ وَمَا نَحْنُ بِتَارِكِىٓ ءَالِهَتِنَا عَن قَوْلِكَ وَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِينَ﴿٥٣﴾ إِن نَّقُولُ إِلَّا ٱعْتَرَىٰكَ بَعْضُ ءَالِهَتِنَا بِسُوٓءٍ قَالَ إِنِّىٓ أُشْهِدُ ٱللَّهَ وَٱشْهَدُوٓا۟ أَنِّى بَرِىٓءٌ مِّمَّا تُشْرِكُونَ﴿٥٤﴾ مِن دُونِهِۦ فَكِيدُونِى جَمِيعًا ثُمَّ لَا تُنظِرُونِ﴿٥٥﴾ إِنِّى تَوَكَّلْتُ عَلَى ٱللَّهِ رَبِّى وَرَبِّكُم مَّا مِن دَآبَّةٍ إِلَّا هُوَ ءَاخِذٌۢ بِنَاصِيَتِهَآ إِنَّ رَبِّى عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ﴿٥٦﴾ فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَقَدْ أَبْلَغْتُكُم مَّآ أُرْسِلْتُ بِهِۦٓ إِلَيْكُمْ وَيَسْتَخْلِفُ رَبِّى قَوْمًا غَيْرَكُمْ وَلَا تَضُرُّونَهُۥ شَيْـًٔا إِنَّ رَبِّى عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ حَفِيظٌ﴿٥٧﴾

और (हमने) क़ौमे आद के पास उनके भाई हूद को (पैग़म्बर बनाकर भेजा और) उन्होनें अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करों उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तुम बस निरे इफ़तेरा परदाज़ (झूठी बात बनाने वाले) हो ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं मॉगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्श के ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से बरसाएगा ख़ुश्क साली न होगी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों वह लोग कहने लगे ऐ हूद तुम हमारे पास कोई दलील लेकर तो आए नहीं और तुम्हारे कहने से अपने ख़ुदाओं को तो छोड़ने वाले नहीं और न हम तुम पर ईमान लाने वाले हैं हम तो बस ये कहते हैं कि हमारे ख़ुदाओं में से किसने तुम्हें मजनून (दीवाना) बना दिया है (इसी वजह से तुम) बहकी बहकी बातें करते हो हूद ने जवाब दिया बेशक मै ख़ुदा को गवाह करता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि तुम ख़ुदा के सिवा (दूसरों को) उसका शरीक बनाते हो इसमे मै बेज़ार हूँ तो तुम सब के सब मेरे साथ मक्कारी करो और मुझे (दम मारने की) मोहलत भी न दो तो मुझे परवाह नहीं मै तो सिर्फ ख़ुदा पर भरोसा रखता हूँ जो मेरा भी परवरदिगार है और तुम्हारा भी परवरदिगार है और रुए ज़मीन पर जितने चलने वाले हैं सबकी चोटी उसी के साथ है इसमें तो शक़ ही नहीं कि मेरा परवरदिगार (इन्साफ की) सीधी राह पर है इस पर भी अगर तुम उसके हुक्म से मुँह फेरे रहो तो जो हुक्म दे कर मैं तुम्हारे पास भेजा गया था उसे तो मैं यक़ीनन पहुँचा चुका और मेरा परवरदिगार (तुम्हारी नाफरमानी पर तुम्हें हलाक करें) तुम्हारे सिवा दूसरी क़ौम को तुम्हारा जानशीन करेगा और तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते इसमें तो शक़ नहीं है कि मेरा परवरदिगार हर चीज़ का निगेहबान है

This is a portion of the entire surah. View this verse in context, or view the entire surah here.