Surat An-Nasr (Divine Support) - النصر
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110:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ إِذَا جَآءَ نَصْرُ ٱللَّهِ وَٱلْفَتْحُ ﴿١﴾ وَرَأَيْتَ ٱلنَّاسَ يَدْخُلُونَ فِى دِينِ ٱللَّهِ أَفْوَاجًا﴿٢﴾ فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَٱسْتَغْفِرْهُ إِنَّهُۥ كَانَ تَوَّابًۢا﴿٣﴾ ऐ रसूल जब ख़ुदा की मदद आ पहँचेगी और फतेह (मक्का) हो जाएगी और तुम लोगों को देखोगे कि गोल के गोल ख़ुदा के दीन में दाख़िल हो रहे हैं तो तुम अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करना और उसी से मग़फेरत की दुआ माँगना वह बेशक बड़ा माफ़ करने वाला है | ||