Surat Yusuf (Joseph) - يوسف
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12:35 ثُمَّ بَدَا لَهُم مِّنۢ بَعْدِ مَا رَأَوُا۟ ٱلْءَايَٰتِ لَيَسْجُنُنَّهُۥ حَتَّىٰ حِينٍ ﴿٣٥﴾ وَدَخَلَ مَعَهُ ٱلسِّجْنَ فَتَيَانِ قَالَ أَحَدُهُمَآ إِنِّىٓ أَرَىٰنِىٓ أَعْصِرُ خَمْرًا وَقَالَ ٱلْءَاخَرُ إِنِّىٓ أَرَىٰنِىٓ أَحْمِلُ فَوْقَ رَأْسِى خُبْزًا تَأْكُلُ ٱلطَّيْرُ مِنْهُ نَبِّئْنَا بِتَأْوِيلِهِۦٓ إِنَّا نَرَىٰكَ مِنَ ٱلْمُحْسِنِينَ﴿٣٦﴾ फिर (अज़ीज़ मिस्र और उसके लोगों ने) बावजूद के (यूसुफ की पाक दामिनी की) निशानियाँ देख ली थी उसके बाद भी उनको यही मुनासिब मालूम हुआ कि कुछ मियाद के लिए उनको क़ैद ही करे दें और यूसुफ के साथ और भी दो जवान आदमी (क़ैद ख़ाने) में दाख़िल हुए (चन्द दिन के बाद) उनमें से एक ने कहा कि मैने ख्वाब में देखा है कि मै (शराब बनाने के वास्ते अंगूर) निचोड़ रहा हूँ और दूसरे ने कहा (मै ने भी ख्वाब में) अपने को देखा कि मै अपने सर पर रोटिया उठाए हुए हूँ और चिड़ियाँ उसे खा रही हैं (यूसुफ) हमको उसकी ताबीर (मतलब) बताओ क्योंकि हम तुमको यक़ीनन नेकी कारों से समझते हैं | ||