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BackSurat Ibrahim (Abraham) - ابراهيم

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14:34

وَءَاتَىٰكُم مِّن كُلِّ مَا سَأَلْتُمُوهُ وَإِن تَعُدُّوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ لَا تُحْصُوهَآ إِنَّ ٱلْإِنسَٰنَ لَظَلُومٌ كَفَّارٌ ﴿٣٤﴾

(और अपनी ज़रुरत के मुवाफिक) जो कुछ तुमने उससे माँगा उसमें से (तुम्हारी ज़रूरत भर) तुम्हे दिया और तुम ख़ुदा की नेमतो गिनती करना चाहते हो तो गिन नहीं सकते हो तू बड़ा बे इन्साफ नाशुक्रा है

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