Surat Ibrahim (Abraham) - ابراهيم
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14:42 وَلَا تَحْسَبَنَّ ٱللَّهَ غَٰفِلًا عَمَّا يَعْمَلُ ٱلظَّٰلِمُونَ إِنَّمَا يُؤَخِّرُهُمْ لِيَوْمٍ تَشْخَصُ فِيهِ ٱلْأَبْصَٰرُ ﴿٤٢﴾ مُهْطِعِينَ مُقْنِعِى رُءُوسِهِمْ لَا يَرْتَدُّ إِلَيْهِمْ طَرْفُهُمْ وَأَفْـِٔدَتُهُمْ هَوَآءٌ﴿٤٣﴾ और जो कुछ ये कुफ्फ़ार (कुफ्फ़ारे मक्का) किया करते हैं उनसे ख़ुदा को ग़ाफिल न समझना (और उन पर फौरन अज़ाब न करने की) सिर्फ ये वजह है कि उस दिन तक की मोहलत देता है जिस दिन लोगों की ऑंखों के ढेले (ख़ौफ के मारे) पथरा जाएँगें (और अपने अपने सर उठाए भागे चले जा रहे हैं (टकटकी बँधी है कि) उनकी तरफ उनकी नज़र नहीं लौटती (जिधर देख रहे हैं) और उनके दिल हवा हवा हो रहे हैं | ||