Surat Al-Israa (The Night Journey) - الإسراء
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17:28 وَإِمَّا تُعْرِضَنَّ عَنْهُمُ ٱبْتِغَآءَ رَحْمَةٍ مِّن رَّبِّكَ تَرْجُوهَا فَقُل لَّهُمْ قَوْلًا مَّيْسُورًا ﴿٢٨﴾ और तुमको अपने परवरदिगार के फज़ल व करम के इन्तज़ार में जिसकी तुम को उम्मीद हो (मजबूरन) उन (ग़रीबों) से मुँह मोड़ना पड़े तो नरमी से उनको समझा दो | ||