Surat Al-Israa (The Night Journey) - الإسراء
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17:50 قُلْ كُونُوا۟ حِجَارَةً أَوْ حَدِيدًا ﴿٥٠﴾ أَوْ خَلْقًا مِّمَّا يَكْبُرُ فِى صُدُورِكُمْ فَسَيَقُولُونَ مَن يُعِيدُنَا قُلِ ٱلَّذِى فَطَرَكُمْ أَوَّلَ مَرَّةٍ فَسَيُنْغِضُونَ إِلَيْكَ رُءُوسَهُمْ وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هُوَ قُلْ عَسَىٰٓ أَن يَكُونَ قَرِيبًا﴿٥١﴾ (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम (मरने के बाद) चाहे पत्थर बन जाओ या लोहा या कोई और चीज़ जो तुम्हारे ख्याल में बड़ी (सख्त) हो और उसका ज़िन्दा होना दुश्वार हो वह भी ज़रुर ज़िन्दा हो गई तो ये लोग अनक़रीब ही तुम से पूछेगें भला हमें दोबारा कौन ज़िन्दा करेगा तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) जिसने तुमको पहली मरतबा पैदा किया (जब तुम कुछ न थे) इस पर ये लोग तुम्हारे सामने अपने सर मटकाएँगें और कहेगें (अच्छा अगर होगा) तो आख़िर कब तुम कह दो कि बहुत जल्द अनक़रीब ही होगा | ||